झूठ का पर्दा हटेगा अंदर की हकीकत तब दिखाई देगा कब तक नजरअंदाज करते रहोगे अपने दिल पर पत्थर रखकर
ऊंचाई देखकर घबरा गया होता ऊपर चढ़ना मुश्किल हो गया होता
ऐसा पता दिया मैं ठिकाने पर पहुंच नहीं पाया उसके प्यार का फितूर मुझपर चढ़ा हुआ है वह तुली हुई है आजमाने को
अपने जख्म किसी को दिखा नहीं सकता तुम्हारे प्यार को कभी भुला नहीं सकता न जाने कौन सी मजबूरी थी जो दर्द दिया है उससे बेजान हो गया हूं
उसकी तिरछी नजर और हल्की मुस्कान ने मेरे प्यार का हर हिसाब कर दिया है अब मेरे इरादों की कोई ख्वाहिश अधूरी नहीं रही